शक्तिपीठ कैसे बने और कितने शक्तिपीठ हैं जानें पुरी कहानी

      नवरात्रि शुरू होने वाली है 26 सितंबर से, माता के मंदिर, सिद्धपीठ और शक्तिपीठ पर माता के भक्तों का मेला लगता है। आपसब मंदिर, सिद्धपीठ और शक्तिपीठ में पूजा करने जाते हैं लेकिन क्या सबका मतलब क्या है पता है, आज हम इस बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। कहां कहां सिद्धपीठ हैं कहां कहां शक्तिपीठ है इसके बारे में भी जानेंगे। भारत में माता के शक्तिपीठों के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान में भी शक्तिपीठ हैं। कहां क्या स्थित है हर बात की जानकारी दे रहे आपको कैसा लगा मेरा पोस्ट कमेंट कर अवश्य बताएं.....



       शक्तिपीठ कैसे बने......

         सबसे पहले हम जानते हैं कि शक्तिपीठ बने कैसे। पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि माता सति जो मां दुर्गा का ही एक रूप थे प्रजापति दक्ष के यहां पुत्री रूप में जन्म लिए थे और भगवान भोलेनाथ से विवाह किया। प्रजापति दक्ष को भगवान भोलेनाथ कभी पसंद नहीं थे, क्योंकि वो कैलाश पर्वत पर रहते, भूत प्रेत, बैल, सांप के साथ रहते हैं, माता सती की जिद के कारण शादी कर तो दिए लेकिन उनको मानते नहीं थे।

     एक बार प्रजापति दक्ष के यहां बहुत बड़ें यज्ञ का आयोजन किया गया था जिसमें सारे देवता और गण आये थे। लेकिन उन्होंने माता सती और देवाधिदेव महादेव को नहीं बुलाए, भगवान शिव तो अपने में लीन थे लेकिन माता सती को ये बात अच्छी नहीं लगी वो बोले भोले नाथ से मैं मायके जा रही हुं वहां उतना बड़ा अनुष्ठान है। बाबा बोले - बिना बुलाए कहीं नहीं जाना चाहिए, माता सती - बोली अपने घर भी जाने के लिए निमंत्रण का जरूरत होता, भागदौड़ में हो सकता पिता भूल गए। भोलेनाथ मना करते रहे लेकिन माता सती वहां चली गई।

      माता सती तब प्रजापति दक्ष के यहां पहुंचे तो बोले पिताजी आपने हम लोग को निमंत्रण क्यों नहीं दिया। प्रजापति दक्ष ने भोलेनाथ के लिए कुछ अपमानजनक बातें कही, माता सती क्रोध से भर गई और वहीं यज्ञ कुंड में कूदकर अपने आप को स्वाहा कर दिया।

     भगवान शंकर जी को जब ये पता चला तो गुस्से में तीसरा नेत्र खोल दिये, पुरे धरती, ब्रह्मांड हाहाकार मच गया, देवता सब उस यज्ञ से भाग गये। शंकर जी माता का शरीर गोद में लिए तांडव करने लगे। तीनों लोक थर थर कांपने लगी, देवता दावन, ऋषि मुनि, इन्द्र सहित सब भगवान विष्णु के पास पहुंचे।  

         भगवान विष्णु ने सबको आश्वासन दे भगवान शिव के पास गए वहां भगवान शिव का वो रूप देख एक उपाय किए अपने चक्र से माता के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए। तब भगवान भोलेनाथ स्थिर हुए। माता के शरीर का 108 टुकड़ा हुआ वो टुकड़ा जहां जहां गिरा वो शक्तिपीठ कहलाता है। 

     देवी भागवत पुराण में 108 शक्तिपीठ कहा जाता है जबकि कालिका पुराण में 26, शिवचरित में 51, दुर्गा सप्तशती में में 52 दिया गया है। हम यहां 52 शक्तिपीठ की चर्चा करेंगे। आप अगर इस विषय में और कुछ जानते हैं तो अवश्य हमें भी बताएं।

       सिद्धपीठ - सिद्धपीठ का मतलब वो मंदिर जहां भगवान खुद कभी दर्शन दिए हैं या फिर किसी मंदिर है प्राण प्रतिष्ठा कर मूर्ति स्थापित किया गया है। वहां रोज विधि पूर्वक पूरा पुजा किया जाता है, वहां सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है... उस मंदिर के प्रभाव के कारण भगवान वहां स्वयं रहने लगते है। सिद्धपीठ में ही बहुत सारे मंदिर है माता के सिद्धपीठ मंदिर कहां कहां हैं उसके बारे में भी आगे बात करेंगे।


       पोस्ट काफी बड़ा हो गया है आगे आप सब बने रहें अगला पोस्ट बिहार झारखंड स्थित शक्तिपीठ और सिद्धपीठ के बारे में जानेंगे। जय माता दी....

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