बाबा बैद्यनाथ मंदिर जो देवघर झारखंड में स्थित है। यहां बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल बसंत पंचमी के दिन लाखों की संख्या में यहां भीड़ जुटती है और बाबा बैद्यनाथ को अबीर गुलाल चढ़ाया जाता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव देवघर में
माघ अमावस्या के बाद आप लोग अक्सर देवघर से सुल्तानगंज वाले रास्ते में बहुत भीड़ देखते हैं, ये हम मिथिलावासी है जो बाबा बैद्यनाथ का तिलक लेकर आते हैं। हम मिथिलावासी का मानना है कि माता पार्वती, माता सती और माता सीता का जन्म हिमालय के तराई में हुआ और मिथिला भी हिमालय की तराई में है इस रिश्ते माता पार्वती, माता सती और माता सीता हमारी बहन हुई....
बाबा बैद्यनाथ मंदिर जो कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है, माता पार्वती का मंदिर यहां शक्तिपीठ के रूप स्थित है यहां महाशिवरात्रि बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इसलिए पहले मिथिलावासी अपनी बहन का तिलक लेकर आते हैं जिसे तिलकहरू कहा जाता है फिर महाशिवरात्रि की तैयारी शुरू करते हैं। बाबा बैद्यनाथ को अबीर गुलाल चढाते समय हम कहते हैं- " हम अहां केय सार छि" मतलब हे भगवान शिव हम आपके साले है ये भेंट स्वीकार करें।
माघी अमावस्या का स्नान कर सुल्तानगंज से जल भर मिथिलावासी निकल पड़ते। हमारा कांवर भी सावन के कांवर से अलग होता है चुंकी ठंड का मौसम रहता है इसलिए बांगी में दो पिटारा रहता है एक में खाने पीने का सामान और कपड़ा और दुसरे में बाबा के तिलकोत्सव का सामान और पैदल ही आते हैं। ये तिलकोत्सव की परंपरा बहुत पुरानी है।
बसंत पंचमी 26 जनवरी को है इस दिन बाबा बैद्यनाथ को अबीर गुलाल, आम का मंजर, घी, मालपुआ, पान सब चढ़ा कर शादी में आने का न्योता देते हैं। हर घर से घी आता है जो पुरे साल बाबा मंदिर सहित 22 मंदिरों के दिए में जलाया जाता है। बाबा को बहनोई मानने के नाते पुरे रात होली गीत गाया जाता है। बाबा को अबीर चढ़ाने के बाद सब एक दूसरे के गाल में लगा होली की शुरुआत करते हैं। इस चढ़ाएं हुए अबीर को अपने घर ले जाते हैं वहां भी एक दूसरे को लगा होली की शुभकामनाएं करते हैं। नये शादी शुदा जोड़े इस अबीर गुलाल को भगवान का प्रसाद मानते हैं कहा जाता है इससे होली की शुरुआत करने से उनके सुहाग की उम्र लंबी होती है।
देवघर तिलकहरू के स्वागत के लिए पुरा देवघर सज धज के तैयार हो गया है। बाबा मंदिर में लाइन जलसार पार्क होते हुए बीएड कालेज तक पुरे रास्ते टेंट की व्यवस्था की गई है। कोरोना के नियम का ध्यान भी रखा गया है अभी व्यवस्था बहुत सुंदर है। आप बस जब आए मास्क में जरूर आएं।