बिहार झारखंड में स्थित शक्तिपीठ के बारे में जानें

      पिछले पोस्ट में हमने शक्तिपीठ कैसे बना और कितने शक्तिपीठ हैं इसके बारे में बताया था, आज हम 52 शक्तिपीठ कहां कहां स्थित है उसके बारे में बता रहे हैं। सबसे पहले हम बिहार झारखंड में स्थित शक्तिपीठ के बारे में बात करते हैं। बिहार झारखंड में 52 शक्तिपीठ में से कुछ यहां स्थित है कुछ के सिद्धपीठ भी यहां हैं उनके बारे में भी जाना दे रहे। नवरात्रि में आप सब यहां आएं माता का आशीर्वाद लें। जय माता दी....


      बिहार झारखंड में स्थित शक्तिपीठ के बारे में जानें....


      * जय दुर्गा बैद्यनाथ शक्तिपीठ - यह शक्तिपीठ झारखंड के देवघर में स्थित है। यहां माता का हृदय गिरा था,जिस कारण इसे हृदयापीठ भी कहा जाता है। यह पहला ऐसा मंदिर है जहां पर माता का शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग दोनों है। देवघर के बारे में विस्तार से जानें - देवघर ज्योतिर्लिंग

      * बड़ी पटन देवी और छोटी पटन देवी - यह बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। बड़ी पटन देवी 
में माता सती का दाहिना जांघ गिरा था और छोटी पटन देवी मंदिर में माता का पट और वस्त्र गिरा था।

      * रजरप्पा मंदिर - यह शक्तिपीठ झारखंड के रामगढ़ जिले के रजरप्पा में स्थित है, इसे मां छिन्नमस्तिका के नाम‌ से जाना जाता है। इस मंदिर में रोज लगभग 100-200 बकरों की बली रोज चढ़ाई जाती है। कामाख्या आसाम में स्थित शक्तिपीठ के बाद यही दुसरा शक्तिपीठ है जो मां छिन्नमस्तिका शक्तिपीठ के रूप में लोकप्रिय है। यह तंत्र मंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां मां काली की प्रतिमा है जिसमें दायां हाथ में तलवार और बायां हाथ में अपना ही कटा सिर है ।

      * मिथिला शक्तिपीठ - यह बिहार के दरभंगा जिले में स्थित है। यहां माता का बायां भूजा गिरा था,यह जनकपुर जो भारत नेपाल सीमा पर स्थित है वहीं आस पास में हैं।

      * चंडिका स्थान - यह शक्तिपीठ बिहार के मुंगेर में स्थित है। यहां माता सती का बायां आंख गिरा था, यह मुंगेर जिला से 4 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर में माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती है खासकर आंखों से संबंधित कोई दिक्कत है माता ठीक कर देती। मंदिर के पूर्व दिशा और पश्चिम दिशा में श्मशान है इसलिए यहां तंत्र विद्या भी होता है। कुछ कथाओं में वर्णित है कि माता सति और मां गंगा बहन है इसलिए हर सावन माह में मां गंगा गर्भ गृह तक जाती है और चंडिका देवी का आंख स्पर्श कर लौट जाती है।

    * मां मंगला गौरी शक्तिपीठ - यह बिहार के गया जिले के भस्मकुट पर्वत पर स्थित है। यहां माता का स्तन गिरा था इसलिए इसे पालनपीठ कहा जाता है। यहां नवरात्रि में और महाशिवरात्रि में भीड़ लगता है।

     * जय मंगला देवी - यह बिहार के बेगुसराय से 22 किलोमीटर दूर मंझौल अनुमंडल में है। यहां कांवर झील भी है जहां विश्व के अलग अलग देशों से पक्षी आते हैं। यहां एक जनवरी को मेला लगता है और मंगलवार और शुक्रवार को भी लोग बलि देने आते हैं।

      * मुंडेश्वरी मंदिर - यह बिहार के कैमूर जिला मुख्यालय के भगवानपुर अंचल में पवड़ा पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां बकरे की बली पड़ती है लेकिन वो जिंदा रहता है। मतलब यहां बकरे पर चावल छिड़क दिया जाता है जिससे वह कुछ देर के लिए बेहोश हो जाता फिर उठ कर चलने लगता है। यह सात्विक बली माना जाता है। कहा जाता है कि यहां चंड मुंड का वध करने माता आई थी। गर्भ गृह के अंदर एक पंचमुखी शिवलिंग भी जो रंग बदलता है... ये सब वहां कुछ प्रत्यक्षदर्शी ने बताया है।

      * कात्यायनी स्थान - यह बिहार के खगड़िया जिले में स्थित है। यहां माता के मंदिर में सोमवार और शुक्रवार को दुध और गांजा चढ़ाने आते हैं लोग, यह खगड़िया के धमहरा स्टेशन के पास है। कहा जाता है कि यहां माता का बायां भूंजा कट कर गिरा था। यहां गाय या भैंस जब नया बच्चा देता है तो उसका दही, दूध चढ़ाया जाता है।

     * योगिनी देवी - यह गोड्डा जिले में स्थित है जो झारखंड में है। यहां माना जाता है कि माता सति का बायां जांघ गिरा था यह पथरगामा गोड्डा में है।

       इन सब में कुछ कुछ जगहों को लेकर मतभेद हैं कि वो शक्तिपीठ है या नहीं...

     सिद्धपीठ माता का बेगुसराय जिले के बीहट में, लखनपुर वाली माता, बड़हिया दुर्गा स्थान, मुंगेर बड़ी दुर्गा स्थान, खगड़िया सन्हौली,  झारखंड के पथरौल, लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड के नागर गांव की उग्रतारा देवी, गुमला जिले के महामाया मंदिर में सब के अलावे कुछ और भी हैं अगर आप अपने इलाके के में फेमस है अगर जानते हैं तो कमेंट में अवश्य बताएं।

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