द्वादश ज्योतिर्लिंग: बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर के बारे में

       18 फरवरी को भगवान शिव और माता पार्वती की शादी की तैयारी शुरू हो गई है। अभी हर‌ शिवाला, शिवमन्दिर ज्योतिर्लिंग में भगवान की शादी पर बहुत भीड़ लगती है। महाशिवरात्रि पर हम आपको ज्योतिर्लिंग क्या है, ज्योतिर्लिंग कितने हैं, वहां तक कैसे पहुंचे सब बताएंगे अगर आपको पसंद आए तो कृपया लाइक कमेंट और शेयर करें। सबसे पहले हम पोस्ट में देवघर झारखंड स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम के बारे में बता रहे क्योंकि हम यही बाबा के चरण में रहते हैं। मैंने लगभग ज्योतिर्लिंग यात्रा कर ली है आइए विस्तार से जानें पुरा.....

     



       ज्योतिर्लिंग क्या होता है....

   ज्योतिर्लिंग अर्थात ज्योति रूप में प्रकट होना। शिवलिंग जो शिवालय या शिवमन्दिर में पाया जाता है वो मानव द्वारा बनाया गया है जबकि ज्योतिर्लिंग में स्वयं भगवान शिव अपने आप को एक ज्योति रूप में प्रकट किया जिसका ना आदि है ना अंत... इसलिए शिवलिंग बहुत जगह मिल जाते हैं ज्योतिर्लिंग गिनते के हैं... जहां जहां ज्योतिर्लिंग है मतलब भगवान शिव स्वयं वहां रहते हैं।
 

        ज्योतिर्लिंग कितने हैं और कहां कहां स्थित है.....

    ज्योतिर्लिंग द्वादश हैं जो निम्न श्लोक से पता चलता है कहां कहां हैं। अगर सुबह सुबह उठकर इस श्लोक को पढ़ा जाए तो आपके सारे कष्ट दूर रहेंगे...

     सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
      उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं परमेश्वरम्।। 
      केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकियां भीमशंकरं।
       वाराणस्यांच विश्वेशन त्र्यंबकं गौतमीतटे।।
      वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने।
      सेतूबन्धे च रामेशं घुश्मेशंच शिवालये।।
      द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय ये: पठेत्।
     सप्तजन्मकृतं पापों स्मेरणेन विनश्यति।।
    यं यं काममपेक्ष्यैव पठिष्यन्ति नरोत्तमा:
    तस्य तस्य फलप्राप्तिभर्वष्यिति न संशय:।। 

     सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल में मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, ओंकारेश्वर में अमलेश्वर, श्री सोमनाथ काठियावाड़, केदारनाथ उत्तराखंड हिमालय, परली में बैद्यनाथ, डाकिनी में भीमशंकर, सेतुबंध पर रामेश्वरं, दारूकवन में नागेश्वर, काशी में विश्वनाथ, गौतम तक पर त्र्यंबकेश्वर, शिवालय में घृष्णेश्वर है। आइए विस्तार से इन सभी जगहों के बारे में जानें।

‌     बैद्यनाथ धाम देवघर झारखंड - बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर झारखंड में स्थित है। यहां बाबा के साथ माता सति का शक्तिपीठ भी है। कहा जाता है यहां माता का ह्रदय गिरा था इसलिए इसको ह्रदयापीठ भी कहा जाता है। यहां सावन माह में विश्व स्तरीय मेला लगता है। यहां देवघर से 105 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज से गंगा जल भर के लोग कांवड़ यात्रा करते हैं। सावन माह, अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को लोग कांवड़ लेकर आते हैं जल चढ़ाते हैं। यहां आपको सालों भर भीड़ मिलेगी, बाबा यहां सभी की मनोकामना पूरी करते हैं।

        यहां बाबा को जल चढ़ाते हैं, फिर माता भी यहां विराजमान हैं इसलिए यहां गठबंधन का विशेष महत्व है। यहां शादी विवाह जनेऊ मुंडन हमेशा होता है। नये जोड़े यहां गठबंधन अवश्य कराते हैं ताकि उनकी जोड़ी भी महादेव और पार्वती जैसे बनी रहे। पूजा कराने के लिए पंडा आपको मिल जाएंगे जो यहां आप बस अपना जन्मस्थली बता दीजिए आपको आपका पंडा जी मिल जाएंगे।

     कैसे पहुंचेदेवघर पहुंचने के बहुत सारे रास्ते हैं। आप अगर हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो देवघर एयरपोर्ट पर आ सकते हैं। रेल भी सभी जगहों से जुड़ी हुई है, देवघर से 6 किलोमीटर दूर जसीडीह स्टेशन है जहां हर जगह से आपको रेल यात्रा सुविधा जनक होगी। सड़क मार्ग भी बहुत अच्छा है।

    ‌‌देवघर और आसपास घूमने की जगह - देवघर में घूमने की बहुत सारी जगह है नंदन पहाड़ जो बाबा बैद्यनाथ मंदिर से 2 किलोमीटर दूर है, नौलखा मंदिर, सत्संग आश्रम, रोप वे सेवा भी था लेकिन कुछ कारणों से अभी बंद है। बहुत सारे पार्क हैं। देवघर से 45 किलोमीटर दूर बाबा वासुकीनाथ मंदिर है जो नागेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। वासुकीनाथ मंदिर में माना जाता है कोर्ट कचहरी के मामले में फंसे हुए लोगों को यहां पूजा करने से राहत मिलती है।   


Post a Comment

Previous Post Next Post